Story by thetrendarticle team

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने अपनी नई बेंच नीति का पहला चरण पूरा कर लिया है, जिसके बाद कई कर्मचारी अब अपनी नौकरी को लेकर बेहद चिंतित महसूस कर रहे हैं।
यह नीति 12 जून 2025 को लागू की गई, जिसके तहत अब कर्मचारियों को बिना किसी प्रोजेक्ट पर सिर्फ 35 दिनों तक ही बेंच पर रहने की अनुमति है। इसके बाद उनके प्रमोशन या नौकरी पर खतरा मंडरा सकता है।
सोशल मीडिया पर बढ़ी नाराजगी
कई कर्मचारियों ने Reddit जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी चिंताएं साझा की हैं। कुछ का कहना है कि उन्हें ऐसे प्रोजेक्ट्स में जबरन भेजा जा रहा है जो उनकी स्किल्स से मेल नहीं खाते। वहीं कुछ को क्लाइंट इंटरव्यू में बार-बार रिजेक्ट किया जा रहा है, या फिर उन्हें उनके गृह नगरों से दूर स्थानों पर काम करने को मजबूर किया जा रहा है।
एक पोस्ट में लिखा गया, “यह कदम धीरे-धीरे उपयोग आधारित रोजगार छंटनी की शुरुआत है। तैयार हो जाइए छंटनी के लिए।”
एक अन्य नए कर्मचारी ने लिखा, “मैंने ज्वाइनिंग के बाद जावा में ट्रेनिंग ली, लेकिन एक महीने के अंदर ही मुझे एक ऐसे सपोर्ट प्रोजेक्ट में भेजा जा रहा है जिसमें न तो जावा है और न ही पायथन।”
कितने कर्मचारी प्रभावित?
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि इस नीति से कितने कर्मचारी प्रभावित होंगे। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि शीर्ष IT कंपनियों में आम तौर पर 15–18% कर्मचारी बेंच पर होते हैं। चूंकि TCS में करीब 6.13 लाख कर्मचारी हैं, इसलिए इसका प्रभाव व्यापक हो सकता है।
कर्मचारियों का पक्ष: “अन्यायपूर्ण और अमानवीय नीति”
Nascent Information Technology Employees Senate (NITES) नामक कर्मचारी संगठन ने श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिखकर इस नीति को “अमानवीय” और “शोषणकारी” बताया है। NITES ने आरोप लगाया कि यदि कर्मचारी समय पर नया प्रोजेक्ट नहीं पाते, तो उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है और अनुभव पत्र भी देने से इनकार कर दिया जाता है।
NITES अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा ने कहा, “ये कर्मचारी नॉन-परफॉर्मिंग नहीं हैं, बल्कि स्किल्ड प्रोफेशनल्स हैं जो अस्थायी रूप से प्रोजेक्ट के बिना हैं। उन्हें सहयोग की बजाय संदेह, दबाव और धमकियों का सामना करना पड़ रहा है।”
कुछ कर्मचारियों ने किया समर्थन
हालांकि, Reddit पर कुछ यूजर्स ने इस नीति का समर्थन भी किया है। एक पोस्ट में लिखा गया, “शायद इससे TCS कुछ कमज़ोर और बेंच पर टिके रहने वाले कर्मचारियों को हटाने में सफल होगा।”
कंपनी का स्पष्टीकरण
TCS के CEO और MD के. कृतिवासन ने The Times of India को दिए एक बयान में कहा कि यह नीति पहले से चली आ रही प्रक्रिया को और संरचित रूप में लागू करने का प्रयास है।
उन्होंने कहा, “हमेशा से अपेक्षा रही है कि कर्मचारी अपने करियर की ज़िम्मेदारी लें। HR सहायता करता है, लेकिन कर्मचारी को भी स्वयं आगे आकर प्रोजेक्ट्स खोजने होते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी अपने कर्मचारियों को ट्रेनिंग देती है और चाहती है कि वे समय रहते प्रोजेक्ट्स में लगें। “प्रोजेक्ट्स क्लाइंट की ज़रूरतों के अनुसार तय होते हैं, व्यक्तिगत पसंद से नहीं। यदि स्किल गैप होता है तो हम उसे भरने की कोशिश करते हैं।”
हालांकि कृतिवासन ने इस सवाल का उत्तर नहीं दिया कि क्या लंबी अवधि से बेंच पर रहने वाले कर्मचारियों की सैलरी रोकी गई है।
आर्थिक दबाव भी एक वजह
The Economic Times की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी बढ़ते कर्मचारी खर्च और धीमी व्यापार वृद्धि के कारण दबाव में है। TCS लगातार तीसरी तिमाही में गिरावट दर्ज कर चुकी है। साथ ही, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के कारण कई नियमित IT कार्यों का ऑटोमेशन हो रहा है, जिससे एंट्री-लेवल इंजीनियरों को प्रोजेक्ट में लगाना मुश्किल हो रहा है।
EIIRTrend के CEO परीख जैन ने कहा, “IT कंपनियाँ अब सॉफ्ट बिजनेस कंडीशन और हाई-डिमांड स्किल्स की जरूरत के कारण बेंच पॉलिसीज को सख्त बना रही हैं।”
भविष्य में स्किल्स ही मापदंड बनेंगे
EY इंडिया के टेक्नोलॉजी लीड नितिन भट्ट ने कहा कि कंपनियां अब कर्मचारियों से उम्मीद कर रही हैं कि वे खुद को AI, साइबर सुरक्षा, डिजिटल इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में अपडेट करें।
उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में प्रमोशन और वेतन वृद्धि स्किल्स के आधार पर होंगे, न कि सिर्फ वर्षों के अनुभव या पदनाम के आधार पर।
कर्मचारियों की लागत बनी चुनौती
TCS के CFO समीर सेक्सरिया ने ET को बताया कि कंपनी में यूज़ेज यानी उपयोग दर घट गई है, जिससे मुनाफे पर असर पड़ा है।
अप्रैल से जून तिमाही में TCS का वेतन बिल 37,715 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो कुल राजस्व का 59.5% है। इस दौरान अट्रिशन रेट भी 13.8% पर बना रहा।
HCL टेक्नोलॉजीज भी इसी तरह के दबाव का सामना कर रही है। कंपनी के CEO सी. विजयकुमार ने कहा कि प्रोजेक्ट की देरी और स्किल-लोकेशन मismatch के कारण प्रॉफिट मार्जिन पर असर पड़ा है।
